फ़िल्म राष्ट्रपुत्र और अहं ब्रह्मस्मि की अपार सफलता से पूरे देश में धूम मचाने वाले नायक आज़ाद ने कहा कि आज का विज्ञान भले ही भौतिकवाद के क्षेत्र में आंदोलन का रूप लेकर आगे जा चुका पर शारीरिक क्षमता और मानवीय जीवन पहले के मुक़ाबले कई गुना कम हुई है.पहले मुख्य बीमारी हैज़ा व टीबी हुआ करती थी और आज इंसान सैकड़ों बीमारियाँ का घर बन चुका है. इसका मुख्य कारण है हमारी तनाव पूर्ण जीवन शैली और भौतिकवाद. हमें अपने बुनियादी संस्कार और सनातन जड़ों से दूर नहीं होना चाहिए।जिसमें सबसे ज़रूरी है प्रकृति का साथ।
देखिए आज के विज्ञान में शारीरिक रूप से कहाँ खड़े है!
पहले:-वो कुँए का मैला पानी
पीकर भी 100 वर्ष जी लेते थे!
अब :-RO का शुद्ध पानी
पीकर 40वर्ष में बुढ़े हो रहे हैं!
पहले:-वो घानी का मैला तेल
खाके बुढ़ापे में मेहनत करते थे।
अब:-हम डबल-फ़िल्टर तेल
खाकर जवानी में हाँफ जाते हैं|
पहले:-वो डले वाला नमक
खाके बीमार ना पड़ते थे।
अब:-हम आयोडीन युक्त खाके
हाई-लो बीपी लिये पड़े हैं !
पहले :-वो नीम-बबूल,कोयला
नमक से दाँत चमकाते थे,और
80 वर्ष तक भी चबाके खाते थे
अब:-कॉलगेट सुरक्षा वाले
डेंटिस्ट के चक्कर लगाते हैं!
पहले :-वो नाड़ी पकड़कर
रोग बता देते थे
अब:-आज जाँचे कराने
पर भी रोग नहीं जान पाते हैं!
पहले:-वो 7-8 बच्चे जन्मने
वाली माँ 80वर्ष की अवस्था में
भी खेत का काम करती थी।
अब :-पहले महीने से डॉक्टर
की देख-रेख में रहते हैं |फिर भी
बच्चे पेट फाड़कर जन्मते हैं!
पहले :-काले गुड़ की मिठाइयां
ठोक-ठोक के खा जाते थे !
अब:-खाने से पहले ही
शुगर की बीमारी हो जाती है!
पहले :-बुजुर्गों के भी
घुटने नहीं दुखते थे !
अब :-जवान भी घुटनों
और कमर दर्द से कहराता है!
पहले:- 100w के बल्ब
जलाते थे तो बिजली का बिल
200 रुपये आता था !
अब:-9w की c.f.l में
2000 का बिल आता है!
वक़्त भले हमेशा आगे की ओर चलता है, पर हमें अपनी पुरातन जीवन शैली को भी साथ लेकर चलना चाहिए!
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