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राष्ट्रवाद के महाविजय में राष्ट्रपुत्र का उदय – आज़ाद

  • Writer: Vishwa Sahitya Parishad
    Vishwa Sahitya Parishad
  • Jul 18, 2019
  • 2 min read

पिछले हफ्ते फ्रांस में आयोजित ७२ वाँ कान्स फिल्म फेस्टिवल में भारतीय फिल्म जगत के आधार स्तम्भ बॉम्बे टॉकीज़ एवं कामिनी दुबे द्वारा निर्मित, सैन्य विद्यालय से शिक्षित-दीक्षित बहुमुखी प्रतिभा के धनी फिल्मकार आज़ाद द्वारा निर्देशित-अभिनीत फिल्म राष्ट्रपुत्र का रिवेरा थिएटर में भव्य विश्व प्रदर्शन संपन्न हुआ | बहुचर्चित फिल्म राष्ट्रपुत्र का भारत में सफल प्रदर्शन के बाद विश्वपटल पर आना भारत की ओर से राष्ट्रवाद का चरम विस्फोट के तौर पर देखा जा रहा है |

भारतीय सिनेमा जगत के स्तम्भ पुरुष राजनारायण दुबे ने १९३४ में द बॉम्बे टॉकीज़ स्टूडियोज की स्थापना की थी जिसे बॉम्बे टॉकीज़ के नाम से जाना जाता है | पिछले छह दशकों के अंतराल के बाद बॉम्बे टॉकीज़ का भव्य पुनरागमन राष्ट्रवाद से ओतप्रोत फिल्म राष्ट्रपुत्र के माध्यम से हुआ| विश्व प्रसिद्ध कान्स फिल्म फेस्टिवल में भारत के राष्ट्रपुत्र की अंतर्राष्ट्रीय दर्शकों एवं सिने-प्रेमियों ने दिल खोलकर सराहना की |

फ़िल्मकार आज़ाद ने कहा की फ़िल्म राष्ट्रपुत्र चरम राष्ट्रवाद का विस्फोट है, मेरा मूल उद्देश्य सनातन भारत के गौरव और महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आज़ाद के व्यक्तित्व को विश्व के कोने कोने में पहुँचाना है | उन्होंने यह भी कहा की विश्व के हर इंसान को, चाहे वह किसी भी उम्र का हो, किसी भी जाति का हो, किसी भी धर्म या किसी भी देश का हो उसे अपने राष्ट्र के प्रति हर पल समर्पित रहना होगा|

उल्लेखनीय है कि सनातन भारत के राष्ट्रवाद एवं महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आज़ाद के जीवन और विचारों से सिंचित लेखक-निर्देशक-अभिनेता आज़ाद की सिनेमाई चिंतन की अद्भुत कृति राष्ट्रपुत्र विश्वपटल पर एक राष्ट्रवादी फिल्मकार का अमिट हस्ताक्षर सिद्ध हुआ है |

राष्ट्रपुत्र की निर्मात्री कामिनी दुबे एकमात्र ऐसी महिला निर्मात्री रहीं जिनकी फिल्म राष्ट्रपुत्र ७२ वें कान्स फिल्म फेस्टिवल में प्रदर्शित की गई, ये विश्व-मंच पर भारत की नारी सशक्तिकरण की दबंग उद्घोषणा है | उक्त अवसर पर राष्ट्रपुत्र की महिला निर्मात्री कामिनी दुबे ने कहा कि बॉम्बे टॉकीज़ के साथ मिलकर राष्ट्रपुत्र के निर्माण में प्रखर राष्ट्रवाद का पोषण-संवर्धन और प्रक्षेपण ही उनका उद्देश्य रहा है |

बॉम्बे टॉकीज़ अपने उद्भव काल से उत्कर्ष काल तक अपने पितृ-पुरुष राजनारायण दुबे की इच्छा और संस्कारों के अनुरूप ही सामाजिक सरोकारों से प्रतिबद्ध विचारोत्तेजक एवं अर्थपूर्ण सिनेमा की रचना करता रहा है |

आज़ाद के नेतृत्व में उस सनातन संस्कार ने आकार पाया, प्रखर राष्ट्रवाद का शंखनाद हुआ और राष्ट्रपुत्र का जागतिक उदय हुआ |

भारतीय सिनेमा जगत के स्तम्भ पुरुष राजनारायण दूबे के नेतृत्व में बॉम्बे टॉकीज़ ने ११५ सुपर हिट फिल्मों का निर्माण किया, २८० से ज़्यादा कलाकार, निर्देशक, गायक, संगीतकार और तकनीशियन विश्व को दिये, २५९ फिल्मों का सफलता पूर्वक वितरण किया और साथ ही ७०० से अधिक फिल्मों को फाइनेंस किया |

१९३४ में राजनारायण दूबे द्वारा स्थापित बॉम्बे टॉकीज़ की फ़िल्म राष्ट्रपुत्र का विश्व प्रसिद्ध कान्स फिल्म फेस्टिवल में जाना यह भारतीय सिनेमा जगत के लिए गौरव की बात है| फ़िल्मकार आज़ाद के नेतृत्व में दिग्गज फ़िल्म कम्पनी बॉम्बे टॉकीज़ ने विश्व भर में अपना परचम लहराया है|

 
 
 

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